संस्मरण || घाव जो कभी नहीं भरे || By Dr. Agnishekhar || LIVE IMAGE
●दिल्ली में एकबार कश्मीर पर एक परिचर्चा के दौरान जब मेरा परिचय निर्वासन में जी रहे कवि और नागरिक के रूप में दिया गया और मुझसे मेरा पक्ष रखने से पहले यह भी अपेक्षा की गयी कि मैं निर्वासन-चेतना के बारे में कुछ बताऊं तो मैंने कहा था : ●’निर्वासन एक अदीख रिसते हुए…