महाराष्ट्र – पालघर के गढ़ चिंचली, मॉब लिंचिंग केस – एक विश्लेषण || by Rama Deepak || LIVE IMAGE

महाराष्ट्र – पालघर के गढ़ चिंचली, मॉब लिंचिंग केस – एक विश्लेषण || by Rama Deepak || LIVE IMAGE 


महाराष्ट्र के पालघर के गढ़ चिंचली के मॉब लिंचिंग केस में – दो संतों और उनके ड्राइवर की निर्मम हत्या  कर दी गई और पुलिस देखती रही | इस मामले ने सारे देश को स्तब्ध कर दिया है | 16 अप्रैल, रात 10:00 बजे के आसपास महाराष्ट्र के पालघर के नजदीक से होते हुए, जूनागढ़ अखाड़े के संत कल्पवृक्ष गिरी महाराज – उम्र 70 वर्ष, सुशील जी महाराज – उम्र 40 वर्ष और उनका ड्राइवर |


तीनों एक गाड़ी में सवार थे गुजरात के सूरत में अपने गुरु भाई के शरीर पूरा होने पर उनके अंतिम संस्कार में जा रहे थे |  लेकिन पालगढ़ के गांव गढ़ चिंचली के पास वहां के आदिवासी समाज ने उन्हें रोक लिया और चोर होने का शक होने का दावा करते हुए , उनकी पुलिस की उपस्थिति में इतनी पिटाई करें कि वह दुनिया में नहीं रहे संत समाज की मांग है कि इस मामले की सीबीआई जांच हो | लेकिन महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पालघर Case में S.I.T.E जांच के आदेश दिए हैं |




        दादरा नगर हवेली के बॉर्डर से 5 किलोमीटर दूर पालघर का गांव है गड़ चिंचली | जहां मॉब लिंचिंग की यह घटना हुई | पुलिस के अनुसार – “यहां कानून व्यवस्था ना के बराबर है और पुलिस वाले यहां जाने से डरते हैं” | मॉब लिंचिंग वाली घटना के दिन वहां आदिवासी लोग नक्सलवादियों की तरह आवाजें निकाल रही थे | पुलिस वाले वहां पर अपनी जान बचा रहे थे | यह लोग आदिवासी हैं लेकिन नक्सलियों की तरह अटैक करते हैं | अगर कोई एक रास्ते से गुजरता है तो दूसरे रास्ते को वह पत्थर बिछाकर रोक देते हैं | यहां पुलिस खुद ही डरी हुई है | लेकिन अब यह इलाका छावनी में तब्दील हो गया है |


 BJP के नेता प्रेम शुक्ला

          BJP के नेता प्रेम शुक्ला के अनुसार – “कासा थाने के थाना प्रभारी श्री  काले F.I.R में लिखते हैं , की घटना की रात को वह अपने साथ तीन हथियारबंद अधिकारी एक गाड़ी में लेकर गए | थाना प्रभारी ने F.I.R. में आगे लिखा है कि उस भीड़ के 5 लोग उसके परिचित थे | तो पुलिस ने उनको समझाया क्यों नहीं कि यह लोग महात्मा है और चोर नहीं है | ज्ञात हो कि  संत श्री कल्पवृक्ष गिरी महाराज  स्वयं  एक   नोमेदिक जनजाति के हैं और उनका भूमि को लेकर विवाद भी चल रहा था” |

पालघर के विधायक CPI(M) के विनोद निकोले


पालघर के विधायक CPI(M) के विनोद निकोले के अनुसार – “थोड़े दिन पहले भी गांव के लोगों द्वारा दो बार लोगों पर हमले किए गए थे | पहली बार पास के , बाकी गांव के तीन रेलवे कर्मचारियों पर मारपीट का हमला किया गया था | दूसरी बार सामनी गांव के डॉक्टर विश्वास पर भी हमला किया गया | क्योंकि गांव वालों को मानसिकता यह थी कि यहां चोर विभिन्न वेशो में आकर चोरी करते हैं” |  

 प्रश्न ये उठता है कि जब पिछले दिनों में ऐसी 2 घटनाएँ हो चुकी थी जहां मॉब लिंचिंग होते होते बची थी तो विनोद निकोले जो विधायक थे और डीएम और एसपी ने क्या एक्शन लिया | इन दोनों घटनाओं की F.I.R भी ढंग से दर्ज नहीं करी गई | BJP नेता प्रेम शुक्ला जी ने कहा – “चोरी की अफवाह इलाके में थी, परंतु चोरी का केस दर्ज नहीं किया गया और ना ही तीनों रेलवे कर्मचारियों और डॉक्टर विश्वास की पिटाई की कोई F.I.R दर्ज करी गई | संतो की मॉब लिंचिंग मामले की F.I.R दर्ज करी गई क्योंकि उनकी उस केस में मृत्यु हो गई थी और मामले ने तूल पकड़ लिया था |


उनके अनुसार इस घटना का धार्मिक ऐंगल भी है, क्योंकि जो 110 गिरफ्तारियां हुई हैं, उनका  वकालतनामा पीटर डिबेलो जो वहां का कुख्यात क्रिश्चियन मिशनरी के लिए काम करने वाला एनजीओ चलाता है , उसने भरा है | मारे गए लोगों में से मारा गया ड्राइवर गरीब परिवार का है परंतु महाराष्ट्र की संवेदनहीन सरकार ने ना तो उसके परिवार की कोई आर्थिक मदद की और ना ही कोई उसको देखने गया | क्या यहां तालिबानी राज्य है कि किसी की भी हत्या कर दी जाएगी ?  

           गढ़ चिंचली की  सरपंच चित्रा चौधरी BJP की है, उन्होंने गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, को पत्र लिखा है कि अभियुक्तों के परिजनों और CPI(M) के गुंडों की तरफ से उन्हें लगातार धमकाया जा रहा है | उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई ?                    


चित्रा चौधरी अगर इस मॉब लिंचिंग केस में इंवॉल्व हैं तो उनके खिलाफ F.I.R. दर्ज होना चाहिए | विनोद निकोले जो CPI(M) के विधायक हैं, वे स्वयं 2 दिन के बाद घटनास्थल पर गए” |  
                
                   महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार इस क्षेत्र में  लेफ्ट की हिंसा का लंबा इतिहास रहा है | Left के विचारों के खिलाफ विचारधारा रखने वाले का लेफ़्टिस्ट विरोध करते हैं | 
                  
अब पूरी घटना के जानने और विश्लेषण के बाद कुछ प्रश्न है जो दिमाग में कुल बुला रहे हैं – 

  1. Lockdown के चलते – 300 लोगों की भीड़, लाठी और डंडों के साथ हर दूसरे दिन कैसे इकट्ठी हो जाती है और मॉब लिंचिंग करती है ?
  2. दो-तीन घंटे तक मॉब लिंचिंग चलती रही और पुलिस ने स्वयं संतो को भीड़ के हवाले कर दिया, उन्होंने वायरलेस पर अतिरिक्त फोर्स बुलाने का कोई प्रयास नहीं किया ?
  3. अगर वह आदिवासी नक्सलाइट है तो उन पर मकोका क्यों नहीं लगाया जा रहा ?
  4. उन आदिवासियों पर NSA लगाकर उनकी चल अचल संपत्ति को कुर्क क्यों नहीं किया जाएगा ?
  5. F.I.R. में कहीं भी हवाई फायर करने के बारे में दर्ज नहीं है ?
  6. अगर उस भीड़ में चार पांच लोग पुलिस वालों के जान पहचान वाले थे , तो उन आरोपियों पर पुलिस वालों ने क्या कार्रवाई की ?
  7. यह  हृदय विदारक घटना जिसमें 3 लोगों को मार मार कर मार डाला गया हृदय को दहला देती है | आखिर में कल्पवृक्ष गिरी महाराज की आंखें भी निकाल ली गई |

हमारा समाज किस ओर जा रहा है क्या हम  स्वयं को मनुष्य कह सकते हैं ? 

– Rama Deepak
  M.A. Hindi 
  M.A. Mass Communication


Rwanda Genocide 1994 || Hindi Documentary 2021 || 4k || TIRUPATI PRODUCTION

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