कमाल
हो गया
हिसाब जो लगाया आज जिंदगी का तो फिर बवाल हो गया,
क्या खोया क्या पाया का शेष निकाला तो वो भी लाल हो गया।
रूके नही जो रोके से भी उनके चले जाने का मलाल हो गया,
वक्त की बयार में बह गए इस कदर,
वापस जाने का जब रास्ता ना मिला,
तो
जिंदगी पे फिर एक सवाल हो गया।
जिनको भूलना जरूरी था ओर उनको भुला नही पाये,
तो
फिर से आंखो का रंग लाल हो गया।
फिर भी बिना थके बिना रुके बढ़ते जा रहे थे आगे,
बेखुदी का जाने ये कैसा कमाल हो गया।
विजय लक्ष्मी सिंह
(M.A. English and MBA)
(M.A. English and MBA)
Kamaal kammal hoou gaayaa
Kaamaaali kaa Kampala hoou gaayaa
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